सुप्रीम कोर्ट ने जेपी समूह के निर्देशकों और जेपी समूह के रिस्तेदारों को बिना अनुमती के अपनी व्यक्तिगत संपत्ती बेचने की मनाही कर दी है। जेपी समूह द्ववारा 2 हजार करोड़ रुपए न जमा कर पाने पर कोर्ट ने उन्हे किस्तों में रकम अदा करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देशकों को 10 जनवरी को कोर्ट में पेश होने का भी निर्देश दिया है।
इस मामले की अगली सुनवाई भी 10 जनवरी को होगी। वहीं कोर्ट ने इस मामले में कहा है कि लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई जेपी में निवेस की है। जिसके तहत कंपनी रियल स्टेट में सबसे उपर पहुंच गई लेकिन अब जेपी समुह को निवेशकों के पैसे चुकाने के लिए निचे आना होगा।
शीर्ष अदालत ने जेपी इंफ्राटेक को अपने रिकॉर्ड इंटरिम रिजोल्यूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) को सौंपने को कहा है, ताकि 32000 फ्लैट खरीदारों और निवेशकों के हितों की रक्षा हो सके. अदालत ने कंपनी के खिलाफ किसी भी उद्देश्य के लिए किसी भी फोरम जैसे उपभोक्ता फोरम आदि पर होने वाली सुनवाई पर रोक लगा दी है।
कर्ज के तले दबी जेपी समूह का कहा है कि वह जेएसडब्लू की मदद से जेपी इंफ्राटेक के अधूरे प्रोजेक्ट पूरा करने को तैयार है। जेपी समूह के एसोसिएट जयप्रकाश ने कहा कि कंपनी जेपी इंफ्राटेक लि. (जेआईएल) के पास देनदारी से ज्यादा संपत्ति है, इसलिए वे इस समस्या से आसानी से बाहर निकल लेंगे।