लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने और शादी की बात कहकर यौन संबंध बनाने के बाद धोखा देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला ले सकती है।
सालों से महिला के साथ अगर कोई पुरुष महिला के साथ शादी से मुकर जाता है तो क्या उसकी कोई जिम्मेदारी बनती है? क्या महिला को पत्नी की तरह गुजारा भत्ता, संपत्ति में हिस्से का अधिकार दिया जा सकता है? क्या ऐसे संबंधों को अपने आप ही शादी की तरह देखा जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ऐसे सवालों की जांच के लिए तैयार हो गया है। कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार से उसकी राय मांगी है।
बता दें कि जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और अब्दुल नजीर की बेंच ने यह बात कही है। सुप्रीम कोर्ट लिव इन रिलेशन में रहने वाली महिलाओं को घरेलू हिंसा कानून के तहत आने, गुजारा भत्ता पाने और संपत्ति में हिस्सा पाने के योग्य करार चुका है। बहरहाल अब कोर्ट ने इस मामले में राय मांगा है।