भारत (India) में हर साल १५ अगस्त (15 Auguet) को स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) मनाया जाता है। इस दिन स्कूल के छोटे बच्चों से लेकर राजनीति के गलियारों में भी देश की आजादी का जश्न मनाया जाता है। इस मौके पर हम आपके लिए स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी कुछ कविताएं लाए है जिसे पढ़ कर आपको भारतीय होने पर गर्व होगा।
जो सीमा पे हरदम तैनात रहते थे,
जो सीमा पे हरदम तैनात रहते थे, आज हमने वो सिपाही खोए हैं।
जो चैन की नींद सुलाते थे हमें,
आज वो ही मौत की नींद सोए हैं।
हथेली पर लेकर जान जिन्होंने,
लहराया तिरंगा करगिल घाटी में...
याद रखेगा देश उन वीरों को,
जो माटी के लिए विलीन हुए माटी में...
जब दुनिया रंग-बिरंगी थी,
मगर दिल पे स्याही चढ़ी नहीं थी...
जब ख्वाहिशें बहुत बड़ी थी मेरी,
मगर उमर ज्यादा बड़ी नहीं थी...
जिसने बोलना सिखाया,
मेरा वो बचपन सच्चा था...
जब दिल पे कोई मैल नहीं था,
मेरा वो बचपन अच्छा था...
ये तिरंगा विश्व जन को सत्य का संदेश है
ये तिरंगा कह रहा है अमर भारत देश है
ये तिरंगा इस धरा पर शांति का संधान है
ये तिरंगा विश्व का सबसे बड़ा जनतंत्र है
ये तिरंगा वीरता का गूँजता इक मंत्र है
ये तिरंगा वंदना है भारती का मान है
जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया?
जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा
वो भारत देश है मेरा
जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा
वो भारत देश है मेरा
ये धरती वो जहाँ ऋषि मुनि जपते प्रभु नाम की माला
जहाँ हर बालक एक मोहन है और राधा हर एक बाला
जहाँ सूरज सबसे पहले आ कर डाले अपना फेरा
वो भारत देश है मेरा
अलबेलों की इस धरती के त्योहार भी हैं अलबेले
कहीं दीवाली की जगमग है कहीं हैं होली के मेले
जहाँ राग रंग और हँसी खुशी का चारों ओर है घेरा
वो भारत देश है मेरा
जब आसमान से बातें करते मंदिर और शिवाले
जहाँ किसी नगर में किसी द्वार पर कोई न ताला डाले
प्रेम की बंसी जहाँ बजाता है ये शाम सवेरा
वो भारत देश है मेरा
हम भारतीय कहलाते हैं?
हम बच्चे हँसते गाते हैं|
हम आगे बढ़ते जाते हैं|
पथ पर बिखरे कंकड़ काँटे,
हम चुन चुन दूर हटाते हैं|
आयें कितनी भी बाधाएँ,
हम कभी नही घबराते हैं|
धन दोलत से ऊपर उठ कर,
सपनों के महल बनाते हैं|
हम ख़ुशी बाँटते दुनिया को,
हम हँसते और हँसाते हैं|
सारे जग में सबसे अच्छे,
हम भारतीय कहलाते हैं|
तिरंगा लहराता है अपनी पूरी शान से?
तिरंगा लहराता है अपनी पूरी शान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी।
लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी।।
व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया।
हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी।।
हमने अपना गौरव पाया, अपने स्वाभिमान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
गांधी, तिलक, सुभाष, जवाहर का प्यारा यह देश है।
जियो और जीने दो का सबको देता संदेश है।।
प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय जिसके उत्तर द्वार पर।
हिंद महासागर दक्षिण में इसके लिए विशेष है।।
लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
हमें हमारी मातृभूमि से इतना मिला दुलार है।
उसके आँचल की छैयाँ से छोटा ये संसार है।।
हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएँगे।
सच पूछो तो पूरा विश्व हमारा ही परिवार है।।
विश्वशांति की चली हवाएँ अपने हिंदुस्तान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
? सजीवन मयंक