राज्यसभा के सदस्य अब सदन में अपनी बातो को ?मात्र भाषा? में रख सकेंगे। संविधान की आठवी अनुसूची में सभी 22 भाषाओं की भाषांतरण की सुविधा अब राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान होगी। मंगलवार को राज्यसभा के सभापति एम वैंकया नायडु ने कश्मीर, डोगरी, सिंधी, और संथाली बोर्डों में भाषाओं में भाषांतरण करने वाले लोगों को प्रमाण पत्र दिए।
इस मौके पर राज्यसभा के सभापति वैंकया नायडु ने कहा कि संसद में सासदों के मात्र भाषा के प्रयोग से बहस के दौरान भारतीय विविधता झलकेगी। बता दें कि सभापति वैंकया नायडु ने पदभार सम्भालने के साथ ही भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर जोर दिया था। मंगलवार को संसद परिसर में हुए इस कार्यक्रम में उन्होने कहा कि भाषांतरण के दौरान इंटर-प्रिटर को भाषा के साथ साथ भावों को भी समझना जरूरी है।
राज्यसभा के महासचिव देश दीपक वर्मा ने बताया की भाषांतरण में सीवील सोसाईटी की मदद ली गई है। बता दें कि संसद में कार्यवाही के दौरान सांसद को अपनी मात्र भाषा में बात रखने की सुनिधा होती है जिसे वहां मौजूद लोग दूसरी भाषा में सुन सकते है।