अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का महत्व

Aazad Staff

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मातृभाषा देश के लोगों को शिक्षा आदि जैसे मूलभूत अधिकार प्रदान करती है और इसमें समाज के सभी वर्गों का समावेश सुनिश्चित करती है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य भाषाओं और भाषाई विविधता को बढ़ावा देना है।

जन्म लेने के बाद मानव जो प्रथम भाषा सिखता है उसे उसकी मातृभाषा कहा जाता है। मातृभाषा किसी भी व्यक्ति की समाजिक एवं भाषाई पहचान होती है। हर साल २१ फरवरी को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। सन १९९९ में इस भाषा को मनाने की पहल की गई थी।

साल २००० में इस दिन को यूनाइटेड नेशन ने अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया था। तभी से लगातार यह दिवस २१ फरवरी को मनाया जाने लगा। १९५२ में भाषा आंदोलन के दौरान अपनी मातृभाषा के लिए शहीद हुए युवाओं की स्मृति में यूनेस्को ने १९९९ में २१ फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में भाषायी और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता का प्रसार करना है।

इस दिन अधिकतर स्कूल और कॉलेजों में इसके तहत रंगारंग कार्यक्रम एवं प्रतियोगिताएं आयोजित किए जाते हैं। इसमें भाषण, वाद विवाद, गायन, निबंध, लेखन प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता, संगीत और नाटकीय प्रदर्शन का भी आयोजन किया जाता है। यूनाइटेड नेशनंस के अनुसार विश्व भर में बोले जाने वाली भाषाओं की संख्या लगभग ६००० है।

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