हिन्दी साहित्य के विशुद्ध आलोचक नामवर सिंह का ९३ साल की उम्र में मंगलावर को दिल्ली में निधन हो गया है। वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे। दिल्ली के एम्स में उनका काफी समय से इलाज चल रहा था। जनवरी के महीने में उन्हें ब्रेन हेमरेज के बाद दिल्?ली के एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था। बता दें कि वे बेड से गिर गए थे जिसके कारण उनके सिर पर चोट लगी और उनकी छाती की हड्डियां भी टूट गई थीं। जिसके बाद उन्हें यहां भर्ती कराया गया।
नामवर सिंह जन्म २८ जुलाई १९२६ को बनारस (वर्तमान में चंदौली जिला) के एक गांव जीयनपुर में हुआ था। उन्होंने हिन्दी साहित्य में एमए व पीएचडी करने के बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। इसके बाद वे दिल्ली आ गए थे। यहां उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भारतीय भाषा केंद्री की स्थापना की और हिंदी साहित्य को और ऊंचाई पर ले गए।
जेएनयू से सेवानिवृत्त होने के बाद नामवर सिंह को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्व विद्यालय, वर्धा के चांसलर के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने राजा रामनहुं रॉय लाइब्रेरी फाउंडेशन के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया। उन्होंने एक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखीं। नामवर सिंह प्रतिष्ठित 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' के चयन बोर्ड के अध्यक्ष थे।