हिंदी को मिलेगी नई पहचान, मास्को में खुलेगा हिंदी संस्थान

Aazad Staff

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अब तक केवल श्रीलंका में ही हिंदी संस्था का विदेशी केंद्र था।

भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी को विदेशों में भी महत्व दिलाने के लिए इसके केंद्र खोले जा रहे है। केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा अब राष्ट्रीय महत्व का संस्थान बनेगा और छात्रों को डिग्री दे सकेगा तथा उसका एक केंद्र मास्को में भी खुलेगा। इस प्रस्ताव को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में गत दिनों संस्थान के संचालन मंडल की बैठक में इसे मंजूरी दी गई।

हिंदी संस्थान के निदेशक डॉ नंद किशोर पांडेय के मुताबिक 1962 में स्थापित यह संस्थान अहिंदी भाषी शिक्षकों को हिंदी का प्रशिक्षण देने का काम कर रही है। अब तक ये संस्था लगभग 54 हज़ार शिक्षकों को प्रशिक्षित कर चुका है। बहरहाल अब तक ये संस्था डिप्लोमा देती थी लेकिन अब राष्ट्रीय स्तर का संस्थान बनने से यह डिग्री भी दे सकेगी और छात्र पी एच डी भी कर सकेंगे। इस संस्थान के लिए 16 नए शिक्षकों के पद की भी मंजूरी मिली है।अब तक 200 विदेशी छात्रों को भी डिप्लोमा दिया जा चुका है।

गौरतलब है कि भारत सरकार के 'मानव संसाधन विकास मंत्रालय' के अधीन 'केंद्रीय हिंदी संस्थान' एक उच्चतर शैक्षिक और शोध संस्थान है। संविधान के अनुच्छेद 351 के दिशा-निर्देशों के अनुसार हिंदी को समर्थ और सक्रिय बनाने के लिए अनेक शैक्षिक, सांस्कृतिक और व्यवहारिक अनुसंधानों के द्वारा हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण, हिंदी भाषाविश्लेषण, भाषा का तुलनात्मक अध्ययन तथा शिक्षण सामग्री आदि के निर्माण को संगठित और परिपक्व रूप देने के लिए सन 1961 में भारत सरकार के तत्कालीन 'शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय' ने 'केंद्रीय हिंदी संस्थान' की स्थापना उत्तर प्रदेश के आगरा नगर में की थी। हिंदी संस्थान का प्रमुख कार्य हिंदी भाषा से संबंधित शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित करना, शोध कार्य कराना और साथ ही हिंदी के प्रचार व प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाना है।

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