महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने एक बार फिर मराठी और उत्तर भारतीयों की राजनीति को हवा देने का काम किया है। रविवार एक सभा को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में नौकरियों पर पहला हक मराठियों का है।
उन्होंने कहा कि यदि महाराष्ट्र में रोजगार के मौके हैं तो क्या यह गलत है कि महाराष्ट्र के युवाओं को प्राथमिकता दी जाए? उन्होंने कहा कि यदि कल को उत्तर प्रदेश में कोई उद्योग स्थापित होता है तो वहां के युवाओं को रोजगार के लिए प्राथमिकता मिलनी चाहिए, यही बिहार में भी होना चाहिए, इसमें गलत क्या है?
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदी निसंदेह एक सुंदर भाषा है लेकिन यह गलत है कि यह एक राष्ट्रीय भाषा है। राष्ट्रीय भाषा पर कभी निर्णय नहीं लिया गया था। हिंदी भाषा की तरह मराठी, तमिल, गुजराती हैं ये सभी इस देश की भाषाएं हैं।
उल्लेखनिय है कि महाराष्ट्र में कई सालों से 'मराठी अस्मिता' की राजनीति हावी रही है रोजगार की तालाश में बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्रों के लोग जब महाराष्ट्र में जाते हैं तो क्षेत्रीय आधार पर उनके विरोध की राजनीति को हवा दी जाती है। काम की तलाश में महाराष्ट्र आए लोगों का विरोध कर उन्हें पलायन के लिए मजबूर किया जाता है।