दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को 1984 सिख विरोधी दंगे को लेकर ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। ट्रायल कोर्ट ने इस केस में 88 लोगों को दोषी करार दिया था। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की तरफ से दोषी करार दिए गए सभी 88 दोषियों की सजा के फैसले को बरकरार रखा है और सभी को सरेंडर करने को कहा है। बता दें कि अभियुक्तों ने सेशन कोर्ट के 27 अगस्त 1996 के फैसले को चुनौती दी थी। कई दोषियों की अपील लंबित होने के दौरान ही मृत्यु हो गई। 88 में से अभी सिर्फ 47 ही जिंदा हैं।
ट्रायल कोर्ट ने दंगों, घरों को जलाने और कर्फ्यू का उल्लंघन करने के लिए साल 1996 में उन्हें पांच साल की सजा सुनाई थी। इस मामले में 95 शव बरामद हुए थे लेकिन किसी भी दोषी पर हत्या की धाराओं में आरोप तय नहीं हुए थे।
गौरतलब है कि सिख विरोधी दंगे में एसआईटी के द्वारा दर्ज किए गए 5 मामलों में से पहले मामले में यह फैसला आया है। यहां बता दें कि 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिखों के खिलाफ दंगा भड़क गया था। इस दौरान दिल्ली के कई इलाकों में बड़ी संख्या में सिखों को निशाना बनाया गया था और उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया था।