आर्थिक समीक्षा को गुरुवार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में पेश कर दिया है। राज्यसभा के बाद इसे लोकसभा में भी पेश किया गया। आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि वर्ष २०२५ तक ५० खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत को आठ फीसदी की वृद्धि दर बरकरार रखनी होगी। वित्तवर्ष २०१९ के दौरान सामान्य वित्तीय घाटा ५.८ फीसदी रहने का अनुमान है, जबकि वित्तवर्ष २०१८ के दौरान ६.४ फीसदी था।
आर्थिक समीक्षा के तहत २०२४ तक देश की अर्थव्यवस्था का आकार दोगुने से अधिक कर ५००० अरब डॉलर पर पहुंचाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य को पूरा करने के लिये सुधारों की विस्तृत रूपरेखा पेश किये जाने की उम्मीद है।
बता दें कि कृषि क्षेत्र में धीमापन से ग्रोथ पर दबाव के साथ खाद्य उत्पाद कीमतें गिरने से उत्पादन में कमी के आसार हैं। आर्थिक सर्वेक्षण २०१८ से १९ वर्ष २०१९-२० के दौरान तेल की कीमतों में गिरावट की संभावना है।
वित्त वर्ष २०१९-२० में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। पिछले वित्त वर्ष २०१८ -१९ में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पांच साल के न्यूनतम स्तर ६.८ प्रतिशत रही थी।
इसके अनुसार, १४ जून तक विदेशी मुद्रा भंडार ४२२२० करोड रुपया रहा है। इससे पहले बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को हर हाल में संसद में उपस्थित रहने के निर्देश दिए थे। आर्थिक सर्वे मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने तैयार की है और इसमें दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के रास्ते में देश के समक्ष चुनौतियों को रेखांकित किये जाने की संभावना है।