पुरुषोत्तम मास 16 मई से प्रारंभ हो गया है जो की 13 जून तक रहेगा। इसे अधिकमास के नाम से भी जाना जाता है। इस माह के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य करना अशुभ माना जाता है।अधिकमास या पुरुषोत्तम मास में केवल ईश्वर के लिए व्रत, दान, हवन, पूजा, ध्यान आदि करने का विधान है। ऐसा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस दौरान धर्म-कर्म, दान से जुड़े सभी कार्य करना चाहिए क्योंकि ये विशेष फलदायी रहते हैं।
वहीं शास्त्र कहते हैं इस माह का खास महत्व है, जो व्यक्ति भगवान पुरुषोत्तम की आराधना करता है उसे धन और भाग्य के साथ संसार के सभी सुख प्राप्त होते हैं। पुरुषोत्तम मास के दौरान भगवान विषणू की उपासना व उनका जाप करना चाहिए ऐसी मान्यता है कि मनुष्य के सभी पाप कर्मों का क्षय होकर उन्हें कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है।
इस दिन से जुड़ी मान्यता -
जिस चन्द्र मास में सूर्य की कोई भी संक्रांति न आए, उस महीने को अधिक मास कहा जाता है। कहते हैं कि इस महीने का अपना कोई स्वामी नहीं था इसलिए पितर पूजा और मांगलिक कामों पर विराम लगा रहता था। निन्दित माने जाने वाले इस माह को भगवान विष्णु ने इसे अपना नाम दिया जो पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाता है।