दिल्ली हाईकोर्ट ने पति से अलग रह रही महिला पर फैसला सुनाते हुए कहा कि पत्नी को गुजारा भत्ता जीवनयापन के लिए दिया जाता है। इसे तोहफे के तौर पर कतई नहीं देखा जाना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जिस तारीख से पत्नी ने अदालत में गुजारा भत्ता के लिए अर्जी दाखिल की है उसी तारीख से उसको गुजारा भत्ता देना होगा।
हाईकोर्ट ने ये बात सोमवार को एक व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए कही। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में निचली अदालत के उस फैसले को चुनौती दी जिसमें कहा गया कि अलग रह रही पत्नी को अर्जी दायर करने की तारीख से गुजारा भत्ता दिया जाए।
बता दें कि निचली अदालत ने पति को पत्नी की अर्जी दायर करने की तारीख मार्च २०१४ से गुजारा भत्ता के तौर पर ४०.००० रुपये देने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता ने कहा था कि रकम का भुगतान करने की तारीख निचली अदालत के आदेश के दिन से हो न कि अर्जी दाखिल करने की तारीख से।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा, केस के बाद जब निचली अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि पत्नी गुजारा भत्ता की हकदार है तो इसके लिए राशि का आकलन अर्जी दाखिल करने की तारीख से होगा न कि फैसले की तारीख से।