अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुनवाई गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की नई संविधान पीठ ने की। सुप्रीम कोर्ट की नई बेंच ने इस मामले की सुनवाई 29 जनवरी तक के लिए टाल दी है। मामले की सुनवाई के दैरान बेंच में शामिल जस्टिस यूयू ललित पर मुस्लिम पक्षकार के वकील ने एतराज जताया था जिसके बाद जस्टिस ललित ने खुद को इस केस से अलग कर लिया है। सीजेआई रंजन गोगोई ने इस मामले की सुनवाई के लिए कहा है कि नई बेंच का गठन किया जाएगा।
फिलहाल ये मामला 29 जनवरी के लिए टाल दिया गया है। इसके साथ ही इस मामले में दायर नए दस्तावेजों के अनुवाद की पुष्टि नए रूप से की जाएगी। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर यह सुनवाई की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में जो दस्तावेज पेश किए गए उसमें कुल 18836 पेज हैं। जो अरबी, फारसी, संस्कृत, उर्दू और गुरमुखी जैसी सात भाषाओं में लिखे गए है। बता दें कि इन दस्तावेजों को यूपी सरकार को ट्रांसलेट करवाने में 4 महीने तक का समय लग गया था।
आपको बता दें कि इससे पहले भी जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में आया था। तब कुल 9000 पन्नों के दस्तावेज, 90000 पन्नों में हिन्दी-अरबी-उर्दू-फारसी-संस्कृत के धार्मिक दस्तावेज थे। तब रिटायर्ड दीपक मिश्रा की बेंच के सामने सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अनुवाद करवाने की अपील की थी।