सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में 5 जजों की एक संवैधानिक पीठ का गठन किया। इसमें दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं।
हालांकि इसके तहत प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीजेआई पर गंभीर सवाल उठाने वाले चार जजों जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ को शामिल नहीं किया गया है।
इन मामलों में होगी सुनवाई-
इन पांच जजों वाली पीठ 17 जनवरी से आधार कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने, समलैंगिकता पर अपने ही 2013 के फैसले पर पुनर्विचार जैसे महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगी।
इसके अलावा केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर रोक, पारसी महिला के दूसरे धर्म के शख्स से शादी करने के बाद धार्मिक पहचान खो देने, अनैतिक संबंधों में सिर्फ पुरुष को ही दोषी ठहराने समेत तीन अन्य मामले भी संविधान पीठ के समक्ष होंगे।
संविधान पीठ अन्य जिन मामलों को देखेगी उनमें आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे किसी जनप्रतिनिधि के अयोग्य होने से संबंधित सवाल पर याचिकाएं भी हैं।