लोक आस्था और सूर्य उपासना का पर्व छठ 11 नवंबर से आरम्भ हुआ और आज सुबह यानि बुधवार को सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न हो गया है। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए लोगों की भीड़ छठ घाटों पर जुटी थी। सूर्य उपासना के महापर्व छठ के तीसरे दिन मंगलवार की शाम व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्य दिया।
छठ पर्व के चौथे एवं अंतिम दिन तड़के तड़के उगते सूरज को अर्घ्य देने की परंपरा है। छठ पूजा के दौरान व्रती और उनके परिजन अपने घरों से पूजा सामग्रियों केघाटों पर पहुंचे। जहां सभी ने उगते सुर्य को अर्घ्य दिया। कमर तक पानी में डूबे हुए और पूजा सामग्रियों से भरे सूप हाथों में लिए व्रतियों ने भगवान सूर्य की पूजा कर मनोकामनाएं मांगी।
वैसे तो छठ पूरी दुनिया का इकलौता ऐसा पर्व है जिसमें उगते सूर्य के साथ डूबते सूर्य की भी वंदना की जाती है, जल अर्पित किया जाता है। प्रकृति की वंदना का पर्व छठ यूं तो भारत के पूर्वांचल इलाके में ही मनाया जाता था लेकिन ग्लोबल होती दुनिया और संस्कृतियों के संगम के दौर में छठ अब महापर्व बन चुका है। इस पर्व में धरती पर ऊर्जा का संचार करने वाले भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना की जाती है।