राम मंदिर विवाद मामले में एक बार फिर से राजनीति गरमाती नजर आ रही है। राज्यसभा में सांसद राकेश सिन्हा ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए प्राइवेट मेंबर बिल लाने का ऐलान कर दिया है। राकेश सिन्हा ने गुरुवार को इस सिलसिले में कई ट्वीट किए। इस बात में कोई दो राय नहीं कि आगामी लोकसभा चुनाव (2019) से ठीक पहले अयोध्या मुद्दा एक बार फिर संसद के साथ-साथ पब्लिक डिबेट का हिस्सा बनने जा रहा है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले की सुनवाई अगले साल जनवरी तक टाल दी है। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद जैसे हिंदू केंद्र सरकार पर अय़ोध्या में राम मंदिर बनाने पर दबाव बना रहे है।
क्या होता है प्राइवेट मेंबर बिल?
-किसी भी कानून को पारित कराने के लिए सबसे पहले बिल पेश किया जाता है।
-संसद के सदन लोकसभा और राज्यसभा में कोई बिल पेश कर पास करने के बाद ही राष्ट्रपति की सहमति मिलने से वह कानून का रूप लेता है।
संसद में बिल सरकार के किसी भी मंत्री या संसद के किसी भी सदस्य के जरिए लाया जा सकता है।
सरकार के मंत्री अगर बिल लाते हैं तो उसे गवर्नमेंट बिल और दूसरी स्थिति को प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में जाना जाता है।
-लोकसभा और राज्यसभा में जो सांसद मंत्री नहीं है वह एक निजी सदस्य कहलाए जाते हैं।
बता दें कि लोकसभा में ऐसे सदस्यों की ओर से जो विधेयक पेश किया जाता है, उसे निजी विधेयक या प्राइवेट मेंबर बिल के तौर पर जाना जाता है लेकिन प्राइवेट मेंबर बिल के पारित होने की संभावना काफी कम रहती है क्योंकि इन विधेयकों का कानून का रूप लेना सरकार के रुख पर भी निर्भर रहता है।