समान कार्य के बदले समान वेतन के मामले में 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट सुनाएगी फैसला

Aazad Staff

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बिहार सरकार नियोजित शिक्षकों के वेतन पर सालाना 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करती है

सुप्रीम कोर्ट में नियोजित शिक्षकों के समान कार्य के बदले समान वेतन के मामले में मंगलवार को बिहार के तीन लाख 70 हजार नियोजित शिक्षकों के वेतन पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान शिक्षकों का वेतन को 40 फीसदी बढ़ाने की बात कही है। वहीं इस मामले को लेकर केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि बिहार के शिक्षकों का वेतन बढ़ता है तो अन्य राज्य से भी ऐसी मांग उठेगी। क्योंकि एक राज्य के शिक्षकों की सैलरी पर अगर विचार किया जाएगा तो अन्य राज्यों की ओर से भी मांग उठेगी. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने ये भी कहा कि हम बिहार को आर्थिक तौर पर कितनी मदद कर सकते हैं ये हम कोर्ट को अवगत कराएंगे।

बहरहाल इस मामले में अब अगली सुनवाई 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होगी। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और बिहार सरकार को आपस में बैठक कर 27 मार्च तक नियोजित शिक्षकों की सैलरी पर पटना हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक समान कार्य के लिए समान वेतन देने पर विचार करने के लिए कहा था।

बिहार सरकार ने इस मामले में पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने समान कार्य के लिए समान वेतन देने का आदेश दिया था।

बता दें कि बिहार में क्लास एक से लेकर क्लास आठ तक नियोजित शिक्षकों और पुस्तकालय अध्यक्षों को वर्तमान में 14 हजार से लेकर 19 हजार तक सैलरी मिलती है. इनमें ट्रेंड और अनट्रेंड शिक्षक शामिल हैं। समान काम के लिए समान वेतन का फैसला लागू होता होते ही इनका वेतन 37 हजार से 40 हजार तक पहुंच जाएगा।

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