आज देश भर में कुर्बानी का त्योहार बकरीद पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इसे ईद-उल-जुहा के नाम से भी जाना जाता है। इस मौके पर सबसे पहले नमाज अदा की जाती है। नमाज पढ़ने के बाद बकरा, भेड़, दुबे व अन्य जानवरों की बली दी जाती है।
बकरीद पर कुर्बानी किए गए बकरे को तीन हिस्सों में बाटा जाता है। पहला हिस्सा गरीबों में बाटा जाता है। दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और पड़ोसियों के लिए निकाला जाता है। तो वहीं तीसरा हिस्सा परिवार के लिए रखा जाता है। इसके साथ ही मुस्लमानों की सालों से चली आ रही परंपरा के मुताबिक गरीब लोगों के बीच मिठाइयां व उपहार भी बाटे जाते है।
इस्लाम धर्म के मुताबिक मान्यता है कि इस दिन ईद-उल-अजहा को खुदा के दूत इब्राहिम के सम्मान में मनाया जाता है। जो अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे को बलिदान करने को तैयार हो गया। जिसके बाद ये रिवाज चालू हो गया। बकरीद के दिन लोग मस्जिदों में जाकर नमाज पढ़ते हैं, नये कपड़े पहनते हैं और एक दूसरे को बधाई और मुबारकबाद देते हैं। नमाज के बाद वो बकरे के गोश्त को पकाते हैं और गरीबों में बांटते हैं। दुनियाभर में इस त्योहार को बकरीद के नाम से मनाया जाता है।