१९८४ सिख विरोधी हिंसा में सुप्रीम कोर्ट ने त्रिलोकपुरी मामले में दोषी ठहराए गए १५ लोगों को बरी कर दिया। दिल्ली हाईकोर्ट ने इन सभी को दोषी ठहराते हुए पांच साल की सजा बरकरार रखी थी। जिसके बाद इन सभी लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मंगलावर को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए सभी को रिहा कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि चश्मदीदों द्वारा उन लोगों को पहचाना नहीं गया।
गौरतलब है कि आज से ३४ साल पहले सन १९८४ में पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में सिख विरोधी दंगा हुए था। इस दंगे में करीब ९५ लोगों की जान चली गई थी। जबकि १०० घरों को जला दिया गया था जिसके बाद लगभग ९५ शवों को बरामद किया गया था।
इस मामले में पुलिस ने १५ लोगों को गिरफ्तार कर दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में पेश किया था जहां कोर्ट ने इन सभी १५ आरोपियों को दंगा भड़काने और घरों को जलाने के आरोप में दोषी पाया था। इसके बाद मामले की अपील दिल्ली हाईकोर्ट में गई। इस मामले में सुनवाई किए जाने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इन को दोषी पाया और सजा बरकरार रखी। इसके बाद मामले की अपील सुप्रीम कोर्ट में की गई और शीर्ष अदालत ने इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं पाए जाने के बाद सभी को बरी कर दिया।