कई दिनों से राज्यसभा सीटों के लिए बहुत ड्रामा चल रहा था और यह ड्रामा चुनाव से पहले नहीं खत्म हुआ बल्कि चुनाव के परिणाम तक यह हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा। गुजरात के तीन राज्यसभा सीटों के लिए मंगलवार को मतदान हुए। मतदान के कुछ देर बाद वोटों की गिनती होने वाली थी, परंतु राज्यसभा में ड्रामे की वजह से 9 घंटे बाद कांग्रेस नेता अहमद पटेल की जीत पर यह ड्रामा खत्म हुआ।
पहले कांग्रेस ने इस बात की मांग रखी, कि उनके 2 विधायकों के वोट रद्द किए जाएं। जिसके लिए बहुत बवाल हुआ। बात चुनाव आयोग तक गई और आयोग ने दोनों वोटों को रद्द भी कर दिया। जैसे ही वोट रद्द हुए कांग्रेस को जीत की उम्मीद नजर आने लगी। जिनमें से एक सीट के लिए अहमद पटेल की सीट तो बुक हो गई। उसके बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी भी बाकी दो सीटें पाकर जीत गए हैं। जहां शाह पहली बार संसद में जाएंगे, वही पटेल पांचवी बार संसद जाएंगे।
अब आपको बताते हैं कि बवाल कैसे शुरू हुए
असल में गणित में हुआ बवाल
देखिए सबसे पहले तो 176 वोट डाले गए। जिसमें से चुनाव आयोग ने दो विधायकों के वोट रद्द कर दिए, 1 सीट जीतने के लिए कुल 44 वोट चाहिए थे। 2 वोट रद्द होने के बाद अहमद पटेल के पास कुल 44 वोट मिल गए थे। अब बारी आती है अमित शाह और स्मृति ईरानी की, भाजपा के पास 121 विधायक थे। जिनके चलते अमित शाह और स्मृति ईरानी दोनों जीत गए। जिसकी वजह से तीसरे प्रत्याशी बलवंत सिंह राजपूत पटेल से हार गए।
अब जानिए कि आखिर में वोट क्यों रद्द हुए?
राज्यसभा चुनाव में वोट गोपनीय होते हैं, परंतु खुले पत्र के जरिए किए जाते हैं। मतदाता विधायकों को वोट देने के बाद मतपत्र अपनी पार्टी के अधिकृत एजेंट को दिखाता है, परंतु कांग्रेस के खिलाफ दो बागियों- राघवजी भाई पटेल व भोला पटेल ने भाजपा नेताओं के पास जाकर अपने मतपत्र दिखा दिए थे। बस उनके मत पत्र देखने की गलती भाजपा को भुगतनी पड़ी।
भारी वोल्टेज ड्रामा
शाम 4 बजे: नियम के अनुसार हम विपक्ष पार्टी को अपने वोट नहीं दिखा सकते हैं, परंतु वोटिंग के समय कांग्रेस के दो बागी विधायकों ने भाजपा के सदस्य अमित शाह को अपने वोट दिखा दिए थे।
शाम 5 बजे: शक्ति सिंह गोहिल व अर्जुन मोढवाडिया जो कि कांग्रेस के चुनावी एजेंट हैं, उन्होंने तुरंत ही वोट दिखाने के मुद्दे को राज्यसभा में उठाया और चुनाव आयोग को इसकी शिकायत की।
शाम 6 बजे: कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने शाम 6:00 बजे से लेकर 9:00 बजे तक कम से कम तीन बार चुनाव आयोग के पास अपनी मांग रखी, कि उनके दो बागियों के वोट को रद्द किया जाए।
शाम 7 बजे: भाजपा भी किसी से कम नहीं थी, उन्होंने भी कांग्रेस के पीछे जाकर गुहार लगाई, चुनाव आयोग से तत्काल मतगणना की मांग की।
रात 10.30 बजे: 10:30 बजे से लेकर 11:30 बजे तक चुनाव आयोग ने बैठक की और उसके बाद फैसला किया कि उन दोनों विधायकों के वोट रद्द किए जाएंगे और उसके बाद मतगणना आरंभ की।
रात 1.45 बजे: अंत में अहमद पटेल की भी जीत हुई और अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की भी जीत हुई।
10 विधायकों ने की क्रॉस वोटिंग
कांग्रेस के 7 बाघी तो पहले से ही थे, परंतु उनके अलावा राकांपा के दो और जदयू के एकमात्र विधायक छोटू वसावा ने भी उनको वोट ना देकर दूसरे दलों को वोट दे दिया था। और एक निर्दलीय राज्यसभा चुनाव से 1 दिन पहले ही भाजपा में शामिल हो गए थे।
वाघेला ने कांग्रेस को इसलिए मतदान नहीं दिया, क्योंकि उन्होंने कहा, कि कांग्रेस ने मुझे पार्टी से निकाल दिया है और साथ में उन्होंने यह भी कहा कि अहमद पटेल मेरे अजीज मित्र हैं। परंतु जब उन्होंने मुझे पार्टी से निकाल दिया है तो मैं उन्हें वोट क्यों दूं। कांग्रेस एक डूबती नाव है, वह कभी भी डूब सकती है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि मैं अपना वोट उनके पीछे खराब करूँ।