महिला और बाल विकास मंत्रालय ने यौन उत्पीड़न मामलों की जल्द सुनवाई के लिए एक साल के अंदर देशभर में १०२३ फास्ट ट्रैक कोर्ट खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। देश के अलग-अलग राज्यों में यह विशेष अदालतें अगले साल तक काम करना शुरू कर देंगी। इनमें महिला के यौन उत्पीड़न और बाल अपराधों से जुड़े पॉक्सो एक्ट के मामलों की सुनवाई होगी। फिलहाल, देश में ६६४ फास्ट ट्रैक कोर्ट हैं।
मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को बताया कि कोर्टों के निर्माण के लिए ७०० करोड़ रुपए बजट की मंजूरी मिली है। निर्भया कोष के माध्यम से धन उपलब्ध कराया जाएगा। ७०० करोड़ रु. में से ४७४ करोड़ रु. केंद्र द्वारा दिए जाएंगे। जबकि शेष राशि संबंधित राज्य देंगे।
बता दें कि इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को पॉक्सो एक्ट, २०१२ में संशोधन को मंजूरी दी थी जिसमें बाल अपराधों के दोषियों को मौत की सजा और अन्य कठोर दंड का प्रावधान किया गया था।
१८ राज्यों में बनेंगे फास्ट ट्रैक कोर्ट
१८ राज्यों में पॉस्को एक्ट के तहत फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाएंगे। इनमें महाराष्ट्र, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, मेघालय, झारखंड, आंध्र प्रदेश, बिहार, मणिपुर, गोवा, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, मिजोरम, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तराखंड, तमिलनाडु, असम और हरियाणा शामिल हैं।
जाने क्या है फास्ट ट्रैक कोर्ट
यौन हिंसा से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया गया। ये अदालतें (कोर्ट) महिलाओं के खिलाफ होने वाली यौन हिंसा से जुड़े मामलों की जल्द सुनवाई करती है।