होली: केमिकल रंगों की बजाए प्राकृतिक रंगों से खेले होली

Aazad Staff

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रंगों का त्यौहार होली नजदिक है ऐसे में पानी वाले रंगों से होली खेल कर पानी बर्बाद ना करें। इस होली गुलाल व सूखे रंगों का इस्तेमाल करें। होली को अधिक मनोरंजक और पर्यावरण के अनुकूल बनाएं।

प्राकृतिक रंगों से होली खेलना काफी अच्छा विकलप माना गया है। इससे आपको स्किन एलर्जी जैसी समस्याएं नहीं होती है।प्राकृतिक रंगों को फूल, सब्जियों, फलों आदि के इस्तेमाल से घर में तैयार किया जा सकता है।

कार्बनिक रंगों व प्राकृतिक रंगों की मुख्य विशेषताएं:

? गैर-विषाक्त

? त्वचा के अनुकूल

? नुकसानदायक धातुओं से मुक्त

? साफ करने में आसान

? कार्बनिक सामग्री से सुसज्जित

प्राकृतिक रंगों को कुछ इस प्रकार बनाइए -

पीला: पीले रंग का गुलाल बनाने के लिए जैविक हल्दी और बेसन को मिलाएं। इसके अतिरिक्त आप दूसरे प्रकार से पीले रंग का गुलाल प्राप्त करने के लिए सूखे गेंदों के फूल या पीले रंग की गुलदाउदी को पीस कर उनका इस्तेमाल कर सकते हैं।

हरा: कुछ ताजी मेहंदी की पत्तियों को सुखा लें और उनसे हरे रंग का गुलाल बनाने के लिए उन्हें पीस लें। आप आलू या बेसन के साथ हिना पाउडर को मिलाकर विभिन्न प्रकार के हरे रंगों को प्राप्त कर सकते हैं।

नीला: यदि आप नीले गुड़हल के फूलों को सुलभता से प्राप्त कर सकते हैं, तो उन्हें सुखाकर और पीसने के बाद अच्छी तरह से नीले रंग रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

लाल: लाल रंग बनाने के लिए कार्बनिक सिंदूर का उपयोग करें या फिर गुलाब की पंखुड़ियों या लाल गुड़हल के फूलों को सुखा लें और उन्हें पीस कर, सुदंर लाल रंग प्राप्त कर सकते हैं।

आम तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले रंगों से होने वाले हानिकारक प्रभाव -

? आँखों में जलन

? त्वचा रोग

? अंधापन

? धूल से एलर्जी

? चकत्ते और चरम के मामलों में विभिन्न जीर्ण बीमारियाँ और चरम रोग हो सकते हैं।

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