दिवाली के मौके पर हर घर में दिए जलाए जाते है। साथ ही हर घर के आंगन और मुख्य द्वार पर रंगोली बनाने की भी परंपरा है। लोग सुंदर रंगों से अपने घरों में रंगोली बनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन घर व आंगन में रंगोली बनाने से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है।
रंगोली शब्द संस्कृत के एक शब्द 'रंगावली' से लिया गया है। इसे अल्पना भी कहा जाता है। भारत में इसे सिर्फ त्योहारों पर ही नहीं, बल्कि शुभ अवसरों, पूजा आदि पर भी बनाया जाता है। इससे जहां आने वाले मेहमानों का स्वागत होता है, वहीं भगवान के प्रसन्न होने की कल्पना भी की जाती है।
पौराणिक कथा-
हिंदू शास्त्रों के मुताबिक माना जाता है कि रावण का वध करने के पश्चात जब श्रीराम अपनी पत्नी सीता के साथ 14 वर्षों का वनवास व्यतीत करके अयोध्या वापस लौट रहे थे, तब अयोध्या वासियों ने उनका पूरे हर्षोल्लास से स्वागत किया था। लोगों ने अपने घरों की साफ-सफाई करके उन्हें स्वच्छ बनाकर रंगों तथा फूलों की मदद से रंगोली बनाई थी और घर को दीपक से रंगोली को सजाया था, इसलिए तब से ही दीपावली पर रंगोली और दिए जलाने का नियम बन गया।