चैत्र नवरात्रि में मां दूर्गा के ९ रुपों की पूजा की जाती है। वसंत ऋतू में होने के कारण चैत्र नवरात्रि को वसंत नवरात्र भी कहा जाता है। वैसे हिंदू धर्म का नया साल चैत्र नवरात्र से शुरू होता है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करके देवी का आवाहन किया जाता है और नौ दिनों तक उपवास रख माँ दुर्गा की पूजा की जाती है।
नौवें दिन कन्या पूजन करके व्रत का पारण किया जाता है। इस साल ६ अप्रैल शनिवार से नवरात्र शुरू हो रहे हैं। और इसका समापन १४ अप्रैल को होगा। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन अभिजीत मुहूर्त में ६ बजकर ९ मिनट से लेकर १० बजकर १९ मिनट के बीच घट स्थापना करना बेहद शुभ होगा।
कलश स्थापना मुहूर्त - प्रातः ०६:०९ से १०:१९ बजे।
मुहूर्त की अवधि - ४ घंटे ९ मिनट
नवरात्र तारीख
पहला नवरात्र ६ अप्रैल शनिवार को
दूसरा नवरात्र ७ अप्रैल रविवार को
तीसरा नवरात्र ८ अप्रैल सोमवार को
चौथा नवरात्र ९ अप्रैल मंगलवार को
पांचवां नवरात्र १० अप्रैल बुधवार को
छष्ठ नवरात्र ११ अप्रैल वीरवार को
सातवां नवरात्र १२ अप्रैल शनिवार को
अष्टमी १३ अप्रैल शनिवार को
नवमी १४ अप्रैल रविवार को
चैत्र नोरात्रि को हिंदू पुराण और ग्रंथों में सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि माना गया है, क्योंकि इसमें देवी शक्ति की पूजा की जाती है। रामायण में कहा गया है कि भगवान श्री राम ने चैत्र के महीने में देवी दुर्गा की उपासना करने के बाद रावण का वध करके विजय प्राप्त किया था। जिसके बाद से चैत्र नवरात्रि पूरे भारत में मनाई जाती है।