अश्वगंधा का मतलब होता है घोड़े की गंध। इसका नाम भी इस लिए अश्व्गन्धा पड़ा क्यों कि इससे आने वाली गंध बिल्कूल घोड़े के पसीने जैसी होती है। यह एक ऐसा पौधा है जो उच्च तापमान और कम तापमान दोनों में उगाया जा सकता है।
अश्वगंधा एक बहुत ही ताकतवर जड़ी बूटी है जो शरीर को जवान बनाए रखने के काम आती है इसके नियमित प्रयोग से शारीरिक दुर्बलता दूर हो जाती है और व्यक्ति हष्ट पुष्ट बन जाता है।
इसके सेवन से शरीर को बिमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
इसके इस्तमाल से गठिया रोग और डाइजेशन की समस्या से भी मुक्ति मिलती है. अश्वगंधा को लेकर ये भी कहा जाता है कि इसके जड़ में कुछ ऐसे तत्व भी हैं जिसमें कैंसर के ट्यूमर की वृद्धि को रोकने की पर्याप्त क्षमता होती है।
अश्वगंधा कैंसर से छुटकारा दिलाने में बहुत सहायक है। स्वाभाविक रूप से अश्वगंधा में स्टेरॉयड होता है जो विभिन्न स्थितियों में लाभकारी है जैसे कि गठिया और कार्पन टनेल सिंड्रोम के उपचार में लाभकारी है।
अश्वगंधा के सेवन से हाईट/ लंबाई भी बढ़ती है। लंबाई बढ़ाने के लिए इसे रामबाण इलाज माना जाता है। एक ग्लास दूध में अगर आप एक चमम्च अश्वगंधा का इस्तमाल 45 दिनों तक करे तो आपको फर्क दिखने लगेगा।
अश्वगंधा के पत्तों को फोड़े फूंसी पर पीस कर लगाने से जख्म जल्दी ठिक हो जाता है।