करणं मल्लेस्वरी का जन्म सन १९७५, जून १ को श्रीकाकुलम आंध्र प्रदेश मै हुआ था| वर्ष २००० मे सिडनी ओलंपिक्स में कास्य पदक जीतकर कर्णम मल्लेश्वरी ओलंपिक्स में पदक जीतने वाली पहली महिला खिलाडी बनी |
३६ वर्षीय करणं मल्लेस्वरी पहली बार खबरो में तब आई थी जब उन्होने १९९२ की एशियन चैन्पिंशिप में ३ बार रजत-पदक जीते थे, वर्ष १९९५ में उन्होने वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग ट्राफी जीतकर एक नया रिकार्ड बनाया | ३ साल बाद बैंकाक में आयोजित एशियाई खेलो में रजत पदक जीता | करणं मल्लेस्वरी की अपनी उपलब्धियो के लिए वर्ष १९९५-९६ में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार , अर्जुन अवार्ड १९९४ और वर्ष १९९९ में पदम्श्री से नवाज़ा जा चुका है |
करणं ने अपने १० साल के कैरियर मै ११ गोल्ड मेडल और तीन सिल्वर मेडल जीती | वर्ष २००९ में उन्हे इंडियन वेटलिफ्टिंग फेडरेशन का उपाध्यक्ष बनाया गया | तब उन्होने कहा की आप इस खेल मे बदलाव लाएँगी पर आप ऐसा नहीं कर सकी, क्योकि जो लड़किया अपनी समस्याए लेकर मेरे पास आती थी उन्हे महासचिव द्वारा धमकाया जाता था, इसलिए मेने लडकियो से कहा कि वे मेरे पास न आया करे और अपने करियर पर पूरा ध्यान दे |
मै एक सीनियर वेटलिफ्टर हू,पर बावजूत इसके लडकियो को मुझसे बात करने की अनुमति नहीं है | क्या ये गुंडागर्दी नहीं है? फेडरेशन की कार्यशैली से नाराज़ करणं मल्लेस्वरी ने दिसम्बर २०११ में इसकी कमेटी से इस्तीफ़ा दे दिया | भारत म ज्यादातर स्पोर्ट्स फेडरेशन कर्ता-धर्ता खेलो से जुड़े नहीं होते| भारत की तुलना में काफी छोटें देश भी ओलंपिक्स में ५-६ स्वर्ण पदक जीत कर आते है क्योकि उन देशो में पूर्व खिलाड़ी खेलो से जुडे मामलो को देखते है| हम विदेशी कोचो पर लाखो रूपए खर्च करते है पर अपने देश के पूर्व खिलाड़ियो की मदद नहीं लेते |
मै वेटलिफ्टिंग से बेइन्तहा प्यार करती हु यदि फेडरेशन की कार्यशैली मैं जल्द ही सुधार नहीं आता तो यकीन मानिये निकट भविष्य में आपको दूसरी मल्लेश्वरी देखने को नहीं मिलेगी |