लड़कियां लड़कों से किसी से कम नहीं उन्हे भी हर क्षेत्र में समान अधिकार प्राप्त होना चाहिए और इस योच को ही सच कर दिखाया प्रिया झिंगन ने। सेन में 1992 से पहले के प्रवेश का अधइकार नही दिया गया था। लेकिन जब हौसले बूलंद हो तो शिखर तक पहुंचने के लिए कोई रोक नही सकता। भारती सेना में प्रवेश पाने के लिए प्रिया झिंगन ने सेना प्रमुख जनरल सुनित फ्रांसिस को चिट्ठी लिखकर सेना में लड़कियों की भर्ती का कराने का मुद्दा उठाया था। प्रिया का मानना था कि लड़कियां भी लड़कों से किसी मामले में कम नहीं हैं और इसलिए उन्हें भी सेना में जाने का अधिकार मिलना चाहिए।
प्रिया के लेटर का जवाब देते हुए सेना प्रमुख जनरल सुनित फ्रांसिस? ने उनके पत्र का जवाब देते हुए सेना प्रमुख से कहा था कि वह अगले दो सालों में महिलाओं के लिए भर्ती की व्यवस्था करने वाले हैं। इसके बाद 1992 में ही अखबार में महिलाओं के लिए सेना में भर्ती होने का विज्ञापन जारी हुआ। प्रिया लॉ ग्रेजुएट थी। प्रिया ने अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत सेना में अपनी जगह सुनिश्चित की और चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकैडमी में अपने सपने पूरे करने निकल पड़ीं।
भारतीय सेना में भर्ती के लिए महिला के साथ कोई नर्मी नही बर्ती जाती थी। उन्हे पुरुष कैडेटों की तरह ही ट्रेनिंग दी जाती थी। 1 साल तक कड़ी ट्रेनिंग लेने के बाद 6 मार्च 1993 को उन्हें सर्विस के लिए कमीशन किया गया। सेना में अधिकारी बनने वाली प्रिया पहली महिला थी इस कारण प्रिया को एनरोलमेंट नंबर -001 मिला। प्रिया के साथ में कुल 25 महिलाएं ने हिस्सा लिया था।