मुमताज एम काज़ी भारत की पहली महिला रेलवे डीजल इंजन ड्राइव है। मुमताज ने साल 1989 में रेलवे भर्ती बोर्ड की परिक्षा और इंटरव्यू दोनों में मैरिट से पास हुईं। जिसके बाद उन्हे दुनिया को अपाना हुनर दिखाने का मौका मिला। हालांकि ये सफर मुमताज के लिए आसान नहीं था।
मुस्लिम परिवारों में जन्मी मुमताज के लिए पर्दा प्रथा को दरकिनार कर अपने हौसलों को एक नई उड़ान देना सच में काबिले तारीफ है। 1989 में उन्होंने जब रेलवे में नौकरी के लिए आवेदन दिया, तो उनके पिता ?अल्लारखू इस्माइल काथावाला? ने सबसे पहले विरोध किया। बता दें कि इनके पिता रेलवे में एक वरिष्ठ अधिकारी के पद पर थे। इसके बाबजूद भी वे नही चाहचे थे कि उनकी बेटी रेलवे में ड्रइवर का काम करे लेकिन कहते है न जब हौसले बुलंद हो तो मंजिल पर पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता। आखिरकार पिता को नरम होना पड़ा और उन्होंने मुमताज को उनका पसंदीदा काम करने की इजाज़त दे दी।
मुमताज का नाम 1995 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो चुका है। मुमताज़ 1990 की शुरूआत में भारत की पहली महिला डीज़ल इंजन ड्राइवर बनीं थीं। 27 साल से मुमताज़ मुंबई की पटरियों पर ट्रेन दौड़ा रही हैं। मुंबई सेंट्रल रेलवे पर 700 के आसपास मोटरमैन हैं, जिनमें मुमताज़ काज़ी अकेली महिला मोटरवुमेन हैं। मुमताज पहली ऐसी ड्राइवर महिला हैं, जो डीज़ल और इलेक्ट्रिक दोनों तरह के इंजन को चलाना जानती हैं। मुमताज पिछले कई सालों से इलेक्ट्रिक मोटरवुमेन के तौर पर काम कर रही हैं।
अपनी ट्यूटी के साथ साथ मुमताज अपने परिवार की जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाती है। मुमताज के पती का नाम मकसूद है इनके के दो बच्चे हैं, 14 सा का बेटा तौसीफ और 11 साल की बेटी फ़तीन।
मुमताज को 2015 में ?रेलवे जनरल मैनेजर अवॉर्ड? से नवाजा जा चुका है।2017 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इन्हे 'नारी शक्ति पुरस्कार' से भी सम्मानित किया था।