गरीब बच्चों को आईआईटी का सपना दिखाने वाले आनंद कुमार ने एक बार फिर से जीत का परचम लहराते हुए 30 में से 26 बच्चों को जेईई में दाखिला दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई है।
आनंद कुमार हर साल अपने 30 बच्चों को जेईई परीक्षा की तैयारी करवाते हैं और हर साल 30 में से लगभग सभी बच्चे अच्छा प्रर्दशन करते हैं। बता दें कि आनंद कुमार ने इस संस्थान की शुरुआत 2002 में की थी। इसमें जेईई परीक्षा के लिए कमजोर तबके के 30 प्रतिभाशाली छात्रों को शिक्षा दी जाती है।
पिछले साल की तुलना में इस साल जेईई का कट ऑफ मार्क्स अधिक रहा है. इस साल जेईई का कट ऑफ 126 है। बता दें कि जईई ने रिजल्ट जारी कर दिया है हालांकि 15 जून से देश के 23 आईआईटी, 31 एनआईटी और 23 जीएफटीआई कॉलेजों में सीट चुनने की प्रक्रिया शुरू होगी. जिन अभ्यर्थियों ने आर्किटेक्चर एप्टीट्यूट टेस्ट दिया है 18 जून के बाद अपना कॉलेज चुन सकेंगे. ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी 27 जून कोसीट के आवंटन का ऐलान करेगा।
आनंद कुमार से जुड़ी यादगार बाते?
बिहार के पटना से ताल्लुक रखने वाले आनंद कुमार के पिता पोस्टल डिपार्टमेंट में क्लर्क की नौकरी करते थे। घर की माली हालत अच्छी न होने की वजह से उनकी पढ़ाई हिंदी मीडियम सरकारी स्कूल में हुई जहां गणित के लिए लगाव हुआ था। यहां उन्होंने खुद से मैथ्स के नए फॉर्मुले ईजाद किए।
ग्रेजुएशन के दौरान उन्होंने नंबर थ्योरी में पेपर सब्मिट किए जो मैथेमेटिकल स्पेक्ट्रम और मैथेमेटिकल गैजेट में पब्लिश हुए। इसके बाद आनंद कुमार को प्रख्यात कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से एडमीशन के लिए बुलाया गया लेकिन पिता की मृत्यु और तंग आर्थिक हालत के चलते उनका सपना साकार नहीं हो सका।
आनंद कुमार ने सबसे पहले मैथेमैटिक्स नाम का एक क्लब खोला था जहां वे मैथ के छात्रों को ट्रेनिंग देते थे वो भी निशुल्क। समय के साथ साथ उनकी संस्थआ में लोग आने शुरु हुए और फिर 2002 में आनंद ने सुपर 30 की नींव रखीं। इस संस्था से हर साल परीक्षा के जरिए 30 बच्चों का चयन किया जाता है और रहने, खाने-पीने के साथ किताबें भी निशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं।