गुरु गोबिंद सिंह के अनमोल विचार

Aazad Staff

Inspirational Quotes

साल १६९९ में सिखों के १०वें और अंतिम गुरु गोबिंद सिंह ने बैसाखी के दिन ही आनंदपुर साहिब में खालसा पंत की नींव रखी थी। इस दौरान खालसा पंथ की स्‍थापना का मकसद लोगों को तत्‍कालीन मुगल शासकों के अत्‍याचारों से मुक्‍त करना था।

सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु के रूप में प्रसिद्ध गुरु गोबिंद सिंह बचपन ने बहुत ही ज्ञानी, वीर, दया धर्म की प्रतिमूर्ति थे। खालसा पंथ की स्थापना कर गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिक्ख धर्म के लोगों को धर्म रक्षा के लिए हथियार उठाने को प्रेरित किया। पूरी उम्र दुनिया को समर्पित करने वाले गुरु गोबिंद सिंह जी ने त्याग और बलिदान का जो अध्याय लिखा वो दुनिया के इतिहास में अमर हो गया।


गुरु गोबिंद सिंह जी ने ३० मार्च १६९९ को आनंदपुर, पंजाब में अपने अनुयायियों के साथ मिलकर राष्ट्र हित के लिए बलिदान करने वालों का एक समूह बनाया, जिसे उन्होंने नाम दिया खालसा पंथ। खालसा फारसी का शब्द है, जिसका मतलब है खालिस यानि पवित्र। यहीं पर उन्होंने एक नारा दिया 'वाहे गुरु जी का ख़ालसा, वाहे गुरु जी की फतेह?।

गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती के मौके पर आइए जानते है उनके कुछ अनमोल विचार -

१. अगर आप केवल भविष्य के बारे में सोचते रहेंगे तो वर्तमान भी खो देंगे।

२. जब आप अपने अंदर से अहंकार मिटा देंगे तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी।

३. मैं उन लोगों को पसंद करता हूँ जो सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं।

४. ईश्वर ने हमें जन्म दिया है ताकि हम संसार में अच्छे काम करें और बुराई को दूर करें।

५. इंसान से प्रेम ही ईश्वर की सच्ची भक्ति है।

६. अच्छे कर्मों से ही आप ईश्वर को पा सकते हैं। अच्छे कर्म करने वालों की ही ईश्वर मदद करता है।

७. जो कोई भी मुझे भगवान कहे, वो नरक में चला जाए।

८. मुझे उसका सेवक मानो। और इसमें कोई संदेह मत रखो।

९. जब बाकी सभी तरीके विफल हो जाएं, तो हाथ में तलवार उठाना सही है।

१० . असहायों पर अपनी तलवार चलाने के लिए उतावले मत हो, अन्यथा विधाता तुम्हारा खून बहायेगा।

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