संजय बारू भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाइजर थे। संजय बारू मई 2004 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार नियुक्त किए गए। अगस्त 2008 में उन्होंने निजी कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। संजय बारू ने 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर? किताब पीएमओ की नौकरी छोड़ने के लगभग छह साल बाद 2014 में लिखने की योजना बनाई थी।
इससे पहले संजय बारू फाइनेंशियल एक्सप्रेस और बिजनेस स्टैंडर्ड के चीफ एडिटर भी रह चुके है। वह इकोनॉमिक टाइम्स और द टाइम्स ऑफ इंडिया के एसोसिएट एडिटर रहे। इन्होंने इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री( फिक्की) के महासचिव पद से अप्रैल 2018 में एस्तीफा दे दिया। इतना ही नहीं संजय बारु इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटजिक स्टडीज के जियो इकॉनमिक्स एंड स्ट्रेटजी के डायरेक्टर भी रह चुके हैं। जानकारी के लिए बता दें कि संजय बारू के पिता ?बीपीआर विठल? भी मनमोहन सिंह के साथ काम कर चुके हैं। जब मनमोहन सिंह देश के वित्त सचिव थे, तब बीपीआर विठल उनके फाइनेंस और प्लानिंग सेक्रेटरी थे।
संजय बारू द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के राजनीतिक जीवन पर आधारित किताब का विमोचन 2014 में किया गया। उनकी इस किताब ने राजनीति में एक सियासि भूचाल ला दिया था।
इस किताब को लेकर पीएमओ ने नाराजगी जाहिर की थी। पीएम मनमोहन सिंह के कार्यालय ने एक बयान जारी कर इसे पद का दुरुपयोग और व्यावसायिक लाभ कमाने की मंशा करार दिया था। हालांकि एक एक इंटरव्यू में संजय बारू ने पीएमओ के इस बयान को मूर्खतापूर्ण करार देते हुए कहा कि उन्होंने यूपीए-1 के अपने उन्हीं अनुभवों के आधार पर किताब लिखी है, जिसे उन्होंने नजदीक से देखा और जाना। वो भी सिर्फ 50 प्रतिशत बातें ही किताब में लिखीं गईं हैं। किताब को कोरी कल्पना बताने के पीएमओ के आरोप का भी वह खंडन कर चुके हैं।
बारुन ने अपनी किताब ?'दी एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर?' में उन बातों को सामने लाने की कोशिश की है कि किस तरह से सोनिया गांधी के साथ मनमोहन सिंह के समीकरण ने सत्ता को लुंज-पुंज बना दिया। साथ ही ये किताब इस बात को भी साबित करती है कि विपक्ष की आलोचनाएं निराधार नहीं थीं।
प्रधानमंत्री ने अपनी और अपने पद की गरिमा गिरवी रख दी। उन्होंने बिना विरोध सोनिया गांधी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, क्योंकि उनके हाथ बंधे हुए थे। ये किताब विपक्ष के सभी आरोपों को तथ्यपरक मानते हुए एक तरह से उनकी पुष्टि करती है। लेकिन क़रीब-क़रीब हर दूसरे-तीसरे पन्ने पर मनमोहन सिंह का बचाव करते हुए, इसका ज़्यादातर दोष 10 जनपथ(सोनिया का निवास) और उसके सलाहकारों पर मढ़ती है।
संजय बारू ने अपनी किताब और उस पर बाद में दिए गए साक्षात्कारों में स्वीकार किया है कि उनकी किताब मनमोहन सिंह का 'मानवीकरण' करती है। वरना नई पीढ़ी तो उन्हें नख-दंत विहीन रोबोट या पत्थर की मूरत ही मान बैठती। बता दें कि बारु की इस किताब में 90 फ़ीसदी हिस्सा मनमोहन सिंह की तारीफ़ में है।
बारुन द्वारा लिखी गई किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर? पर आधारित फिल्म बनी है जिसके निर्देशक मधुर भंडारकर है। हालांकि फिल्म रिलीज होने से फहले ही कई तरह के विवादों में घिर चुक है। फिल्म अगले साल 11 जनवरी को रिलीज होने वाली है।