सुहागिन महिलाओं द्वारा पति की लम्बी आयु की कामना के लिए वट सावित्री व्रत किया जाता है। आज के ही दिन यानी अमावस्या को इस व्रत को हर सुहागन औरतें अपने पति की लम्बी आयु के लिए ये व्रत करती है।
इस व्रत को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो भी स्त्री इस व्रत को करती हैं उसका सुहाग अमर हो जाता है। वट सावित्री व्रत की कथा का वर्णन महाभारत के वनपर्व में मिलता है।
कथा के अनुसार जिस तरह सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज के मुख से बचा लिया था। उसी प्रकार से इस व्रत को करने वाली स्त्री के पति पर आने वाल हर संकट दूर हो जाता है।
इस व्रत से जुड़ी कथा-
इस कथा में सावित्री के पति सत्यवान की असमायिक मौत के बाद जब यमराज पहुंचे तो पतिव्रता सावित्री ने सत्यवान के जीवन को बख्श देने की गुहार लगाई लेकिन यमराज ने बात नहीं मानी। तब सावित्री यमराज के पीछे-पीछे भागती रही और बात मनवाकर ही मानी।
यमराज से मांग लिया पुत्रवति होने का वरदान
यमराज ने सावित्री को लौट जाने की बात कही। लेकिन सावित्री हठपूर्वक अपने पति को जीवनदान देने की गुहार लगाती पीछे भागती रही। अंतत: यमराज ने सावित्री को वर मांगकर लौट जाने की बात कही। तब सावित्री ने वाक पटुता का प्रदर्शन करते हुए स्वयं को पुत्रवति होने का वर यमराज से मांग लिया। वर देने के कारण यमराज बंध गए और सावित्री के पति सत्यवान को जीवनदान दे दिया। यह वरदान वटवृक्ष के पास ही मिला था। इस कारण नवविवाहिता और महिलाएं यह पूजा वट वृक्ष के नीचे ही सुहाग की रक्षा के लिए करती हैं।
व्रत में इस्तेमाल की जाने वाली सामाग्री-
सत्यवान-सावित्री की मूर्ति (कपड़े की बनी हुई) , बाँस का पंखा, लाल धागा, धूप , मिट्टी का दीपक, घी ,फूल, कपड़ा 1.25 मीटर का दो ,सिंदूर, जल से भरा हुआ पात्र, रोली
इस तरह करे वट सावित्री पूजा -
? व्रत-सावित्री की पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल तथा धूप का इस्तेमाल किया जाता है।
? इसके बाद जल से वटवृक्ष को सींचकर उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर तीन बार परिक्रमा करें।
? बरगद के पत्तों के गहने पहनकर वट सावित्री की कथा सुनना अच्छा माना गया है।
? भीगे हुए चनों का बायना निकालकर, नकद रुपए रखकर सासुजी के चरण-स्पर्श करें।
? यदि सास वहां न हो तो बायना बनाकर उन तक पहुंचाएं।