हिंदू धर्म में पितृपक्ष का एक विशेष महत्व होता है। हिंदू मान्यता के अनुसार पितृपक्ष 15 दिनों के लिए होता है। ये भाद्रपक्ष की पूर्णिणा से आरम्भ होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। इस साल पितृपक्ष 24 से 8 अक्टूबर तक रहेगा।
हिंदू शास्त्रों में ऐसी मान्यता है पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज जिनका देहान्त हो चुका है वे सभी पृथ्वी पर सूक्ष्म रूप में आते हैं और पृथ्वी लोक पर जीवित रहने वाले अपने परिजनों के तर्पण को स्वीकार करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में पूर्वजों का स्मरण और उनकी पूजा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
पितर का आर्थ -
जिस किसी के परिजन चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित हों, बच्चा हो या बुजुर्ग, स्त्री हो या पुरुष उनकी मृत्यु हो चुकी है उन्हें पितर कहा जाता है। हिंदू शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर मृत्युलोक से पृथ्वी पर आते है और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनको तर्पण किया जाता है। बता दें कि इस पूजा का मुख्य उद्देश पितरों को प्रसन्न करना होता है जिससे घर पर सुख शान्ति बनी रहती है।