हिंदू धर्म में मकर संक्रांति एक प्रमुख पर्व है। भारत के विभिन्न इलाकों में इस त्यौहार को स्थानीय मान्यताओं के अनुसार मनाया जाता है। हर वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है। लेकिन इस साल ये पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। बताया जा रहा है कि 14 जनवरी को शाम 7.52 पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे, वहीं पुण्य काल का मुहूर्त :07:15:14 से 12:30:00 तक रहेगा इसकी अवधि 5 घंटे 14 मिनट तक रहेगी। मकर संक्रांति का महापुण्य काल मुहूर्त 07:15:14 से 09:15:14 तक रहेगा जबकि इसकी अवधि 2 घंटे की होगी। मकर राशि का पुण्यकाल 14 जनवरी को 1.28 बजे से 15 जनवरी को 12 बजे तक रहेगा। ऐसे में संक्रांति का दान और स्नान का महत्व 15 तारीख को माना जाएगा।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है और उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। ज्यादातर हिंदू त्यौहारों की गणना चंद्रमा पर आधारित पंचांग के द्वारा की जाती है लेकिन मकर संक्रांति पर्व सूर्य पर आधारित पंचांग की गणना से मनाया जाता है। मकर संक्रांति से ही ऋतु में परिवर्तन होने लगता है। शरद ऋतु क्षीण होने लगती है और बसंत का आगमन शुरू हो जाता है। इसके फलस्वरूप दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी हो जाती है।
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मकर संक्रांति का महत्व
शास्त्रों की मानें तो दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि यानी नकारात्मकता का प्रतीक और उत्तरायण को देवताओं का दिन यानी सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक कार्यों का खास महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर फिर मिल जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन शुद्ध घी और कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है।