लोहड़ी मकर संक्रांति के एक दिन पहले 13 जनवरी को मनाई जाती है। हालांकि इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जा रही है लेकिन पंचाग के अनुसार सूर्य मकर राशि पर 14 जनवरी की शाम 7 बजकर 50 मिनट पर प्रवेश कर रहे है। इस लिए लोहड़ी 13 जनवरी को ही भारत में मनाई जाएगी।
लोहड़ी उत्तर भारत के पंजाब क्षेत्र का एक प्रसिद्घ त्योहार है। पौष के अंतिम दिन सूर्यास्त के बाद यानि माघ संक्रांति से पहले यह पर्व मनाया जाता है। ये पर्व फसलों के पकने के उत्सव के रूप में तो मनाया जाता है।
लोहड़ी का त्योहार नवविवाहितों के लिए काफी खास माना जात है। ऐसी मान्यता है कि नव विवाहित जोड़ा इस दिन अग्नि में आहुति देते हुए उसके चारों ओर घूमता है और अपनी सुखी वैवाहिक जीवन की प्रार्थना करता है। माना जाता है कि ऐसा करने से दांपत्य जीवन में कोई परेशानी नहीं आती।
इस दिन आग जलाने का महत्व -
इस दिन आग जलाने का एक बड़ा महत्व है। इस दिन लोग दुल्ला भट्टी वाला को याद करते है। कहा जाता है कि मुगल काल में अकबर के दौरान दुल्ला भट्टी पंजाब में रहा करता था। दुल्ला भट्टी ने उस दौरान पंजाब की लड़कियों की रक्षा की थी। इसलिए इस दिन बेटियों की सुरक्षा की कामना भी की जाती है। इसके साथ ही इस दिन दुल्ला भट्टी ने दो गरीब लड़कियों की शादी भी कराई थी।
लोहडी पूजन का समय-
लोहड़ी पूजन का शुभ मुहूर्त 13 जनवरी शाम में 5 बजकर 41 मिनट से 7 बजकर 4 मिनट तक होगा। इस दिन लोहड़ी जलाकर विधि पूरवक पूजा की जाती है। इसके साथ ही सभी लोग आग जला कर लोहड़ी की परिक्रमा करते हैं। और आग में तिल, मक्?का, गेहूं, रेवड़ी, जैसे अनाज अर्पण करते है और प्रसाद के रुप में तिल, गजक, मूंगफली, गुड़, रेवड़ी, आदि बांटे जाते है।