श्रावण महीना श्रवण नक्षत्र के आधार पर रखा गया है। श्रवण नक्षत्र का स्वामी चन्द्र होता है। चन्द्र भगवान भोलेनाथ के मस्तक पर विराज मान है। जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है, तब सावन महीना प्रारम्भ होता है।
महादेव को श्रावण मास वर्ष का सबसे प्रिय महीना लगता है क्योंकि श्रावण मास में सबसे अधिक वर्षा होने के आसार रहते हैं, जो शिव के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करता है। भगवान शंकर ने स्वयं सनतकुमारों को सावन महीने की महिमा बताई है कि मेरे तीनों नेत्रों में सूर्य दाहिने, बांएं चन्द्र और अग्नि मध्य नेत्र है। सूर्य गर्म है एवं चन्द्र ठण्डक प्रदान करता है, इसलिए सूर्य के कर्क राशि में आने से झमाझम बारिश होती है। शायद यहीं कारण है कि भगवान शिव को श्रावण महीना अती प्रिय है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार ये मान्यता है कि इस महीने में ही मांता पार्वती ने शिव की घोर तपस्या की थी और शिव ने उन्हें प्रसन्न हो कर दर्शन दिए थे। तब से भक्तों का विश्वास है कि इस महीने में शिवजी की तपस्या और पूजा करने से भगवान मनोकामना पूरी करते है। ऐसी भी मान्यता है कि श्रावण मास, में भगवान शिव की पूजा करने से प्रायः सभी देवताओं की पूजा का फल मिल जाता है।