माघ पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में अपना अलग महत्त्व है।इस दिन स्नान-ध्यान करने से मनोकामनाएं पूर्ण तो होती ही हैं, साथ ही मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। ऐसा पहली बार है जब माघ पूर्णिमा, सुपर मून, ब्लू मून और चंद्रग्रहण एक साथ पड़ रहे है।इसे दुर्लभ संयोग भी कहा जा रहा है।
हिंदू पंचाग के अनुसार ग्यारहवें महीने में कर्क राशि में चंद्रमा और मकर राशि में सूर्य प्रवेश करता है तब माघ पूर्णिमा का पवित्र योग बनता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होकर अमृत की वर्षा करते हैं। इसके अंश वृक्षों, नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों में होते हैं। माना जाता है कि माघ पूर्णिमा में स्नान दान करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है।
माघ पूर्णिमा कथा
शास्त्रों में एक प्रसंग है कि 'भरत ने कौशल्या से कहा कि यदि राम को वन भेजने में उनकी किंचितमात्र भी सम्मति रही हो तो वैशाख, कार्तिक और माघ पूर्णिमा के स्नान सुख से वह वंचित रहेंगी। उन्हें निम्न गति प्राप्त हो।' यह सुनते ही कौशल्या ने भरत को गले से लगा लिया।' इसी तथ्य से हमें इस अक्षुण पुण्यदायक पर्व का लाभ उठाने का महत्त्व पता चल जाता है।
माघ पुराण का महत्व
पुराणों में कहा गया है कि भगवान विष्णु व्रत, उपवास, दान से भी उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना अधिक प्रसन्न माघ स्नान करने से होते हैं। यही वजह है कि प्राचीन ग्रंथों में नारायण को पाने का आसान रास्ता माघ पूर्णिमा के पुण्य स्नान को बताया गया है। भृगु ऋषि के सुझाव पर व्याघ्रमुख वाले विद्याधर और गौतम ऋषि द्वारा अभिशप्त इन्द्र भी माघ स्नान के सत्व द्वारा ही शाप से मुक्त हुए थे।