हरतालिका तीज के मौके पर महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान से अखंड सौभाग्?यवती रहने का आशीर्वाद मांगती हैं। इस साल ये व्रत12 सितंबर को पड़ रहा है। हरतालिका तीज को बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में काफी धूम धाम से मनाया जाता है। वहीं तमिलनाड्डु, कर्नाटका और आंध्र प्रदेश में हरतालिका तीज को गौरी हिब्बा के नाम से जाना जाता है।
हरतालिका तीज का महत्व
हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का बहुत बड़ा महत्व है। यह व्रत भाद्रपद शुक्ल की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। हरतालिका शब्द का अर्थ शिव जी से जुड़ा हुआ है।
हिंदू पुराणों के मुताबिक भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने वर्षों तक जंगल में घोर तपस्या की। बिना जल और बिना आहार के तप करने के बाद उन्हें भगवान शिव ने पत्नी रूप में स्वीकार किया था। इसीलिए हरितालिका तीज के दिन महिलाएं निष्ठा और तपस्या को विशेष महत्व देती हैं।
हरतालिका तीज में सुहागिनों की गहरी आस्था होती है। इस दिन सुहागिने निर्जला व्रत अपने पति के लंबी उम्र के लिए रखती हैं। ऐसा कहा जाता है कि सुहागिने इस व्रत को रखती है तो शिव और पार्वती उन्हें अखण्ड सौभाग्य होने का वरदान देते हैं।वहीं अगर कुंवारी लड़किया रखती हैं तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है।
हरतालिका तीज की तििथ? और शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि प्रारंभ: 11 सितंबर 2018 को शाम 6 बजकर 4 मिनट.
तृतीया तिथि समाप्?त: 12 सितंबर 2018 को शाम 4 बजकर 7 मिनट.
प्रात: काल हरतालिका पूजा मुहूर्त: 12 सितंबर 2018 की सुबह 6 बजकर 15 मिनट से सुबह 8 बजकर 42 मिनट तक