गुरु नानक जयंती का महत्व और उनके सिद्धांत

Aazad Staff

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गुरु पूर्णिमा को सिखों का सबसे महत्वपू्र्ण पर्व माना जाता है। इस दिन गुरु ग्रंथ साहिब में लिखे नानक देव की शिक्षाएं पढ़ी जाती हैं। इस दिन को "प्रकाश उत्सव" के नाम से भी मनाया जाता है।

गुरु नानक के जन्म को लेकर दो मत है। कुछ लोगों का मत है कि गुरु नानक देव का जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ था, लेकिन कई लोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक देव की जयंती मनाते हैं। गुरुनाक जी को सिख धर्म के पहले गुरु का दर्जा प्राप्त है। गुरु नानक देव जो एक महान द्रष्टा, संत और रहस्यवादी थे; उन्होंने दुनिया को आध्यात्मिकता, नैतिकता, मानवता, भक्ति और सच्चाई की गहन शिक्षाएं प्रदान की इसलिए इस दिन को "प्रकाश उत्सव" के नाम से भी जाना जाता है।

15 अप्रैल 1469 को तलवंडी नामक स्थान पर जन्में गुरु नानक का जन्मदिन हिंदू पंचांग के हिसाब से कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन पड़ता है। इस बार यह 23 नवंबर को है।

पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में इस पर्व की धूम तीन दिनों तक रहती है। सिख तीर्थयात्रियों की विशेष रूप से ननकाना साहिब, (गुरु नानक के जन्मस्थान) और अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में बड़ी संख्या में भीड़ देखने को मिलती है। इस पर्व का उत्सव भारत के अलावा यूके, कनाडा और अमेरिका में भी देखने को मिलता है। इस दिन गुरुद्वारों में शबद-कीर्तन किए जाते हैं। जगह-जगह लंगरों का आयोजन होता है और गुरुवाणी का पाठ किया जाता है।

गुरुनानक देव जी के सिद्धांत

गुरुनानक देव जी के सिद्धांत सिख धर्म के अनुयायियों द्वारा आज भी प्रासंगिक है, जो कुछ इस प्रकार से है।

ईश्वर एक है।

एक ही ईश्वर की उपासना करनी चाहिए।

ईश्वर, हर जगह व हर प्राणी में मौजूद है।

ईश्वर की शरण में आए भक्तों को किसी प्रकार का डर नहीं होता।

निष्ठा भाव से मेहनत कर प्रभु की उपासना करें।

किसी भी निर्दोष जीव या जन्तु को सताना नहीं चाहिए।

हमेशा खुश रहना चाहिए।

ईमानदारी व दृढ़ता से कमाई कर, आय का कुछ भाग जरूरतमंद को दान करना चाहिए।

सभी मनुष्य एक समान हैं, चाहे वे स्त्री हो या पुरुष।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन आवश्यक है, लेकिन लोभी व लालची आचरण से बचें है।

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