हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन भगवान हनुमान का जन्म हुआ था, इसीलिए ये पर्व हनुमान जयंती के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है। आज इस पर्व की धूम देश भर में देखी जा सकती है। ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, और उन्हीं में से बजरंगबली भी एक हैं। हनुमानजी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं।
मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म गुमला जिले के आंजनधाम स्थित एक पहाड़ी की गुफा में हुआ था। कहते हैं कि जिस गांव में ये गुफा है उसका नाम आंजन है, जोकि हनुमान की माता अंजनी के नाम पर ही पड़ा था। यह गांव गुमला जिले से लगभग २२ किमी की दूरी पर है। यहां पर एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान हनुमान अपनी माता की गोद में बैठे दिखाई देते हैं और इसकी स्थापना भगवान हनुमान के भक्तों ने १९५३ में की थी। इस मंदिर में भगवान हनुमान और माता अंजना की सुंदर मूर्ति है।
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हनुमान जी के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार अमरत्व की प्राप्ति के लिये जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तो उससे निकले अमृत को असुरों ने छीन लिया। इसके बाद देव और दानवों में युद्ध छिड़ गया। इसे देख भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया, जिसे देख देवताओं और असुरों के साथ ही भगवान शिव भी कामातुर हो गए। इस दौरान भगवान शिव ने वीर्य त्याग किया, जिसे पवनदेव ने वानरराज केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया। इसके फलस्वरूप माता अंजना के गर्भ से श्री हनुमान का जन्म हुआ।