गणेश चतुर्थी का पर्व भारत भर में बहुत ही भव्यता और शान के साथ मनाया जाता है। इस साल ये पर्व २ सितंबर से शुरु हो रहा है। भगवान गणेश ज्ञान और समृद्धि के देवता माने जाते है। इतना ही नहीं हिंदू शास्त्र के अनुसार कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अर्चना करना शुभ माना जाता है। क्योंकि गणपति के आशीर्वाद के बिना कोई शुभ काम शुरू नहीं होता है। गणेश चतुर्थी के दौरान १० दिनों तक भगवान गणेश जी का पूजन किया जाता है और ११वें दिन मूर्ती का विसर्जन होता है।
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त -
पूजन का शुभ मुहूर्त २ सितंबर दोपहर ११ बजकर ४ मिनट से १बजकर ३७ मिनट तक है। पूजा का शुभ मुहूर्त करीब दो घंटे ३२ मिनट की अवधि है।
गणेश चतुर्थी का त्यौहार मुख्य रूप से भाद्रपद (अगस्त या सितंबर) के महीने में नए चंद्रमा के चौथे दिन मनाया जाता है। ये उत्सव १० दिनों का होता है और इस अवसर के ११ वें दिन अनंत चतुर्दशी पर, गणेश विसर्जन के साथ उत्सव समाप्त होता है।
गणेश पूजन -
संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। स्नान करने के मंदिर में लाल कपड़ा बिछाकर गणेशजी की स्थापना करें। गणेश जी को लाल फूल समर्पित करें इसके साथ अबीर, कंकू, गुलाल, हल्दी, मेंहदी, मौली चढाएं। मोदक, लड्डू, पंचामृत और ऋतुफल का भोग लगाएं। इसके बाद गणपति अथर्वशीर्ष, श्रीगणपतिस्त्रोत या गणेशजी के वेदोक्त मंत्रों का पाठ करें। गणपति की आरती करने के बाद अपने मन में मनोकामना पूर्ति के लिए ईश्वर से विनती करें।
गणेश चतुर्थी का महत्व क्या है?
गणेश चतुर्थी त्यौहार का महत्व भगवान गणेश की पूजा करने में है क्योंकि वह ज्ञान, आध्यात्मिक ज्ञान, बौद्धिक शक्ति, धन और शक्ति, खुशी, समृद्धि और सफलता का प्रतीक है। लोग भगवान गणेश की पूजा करते हैं ताकि वे उनसे आशीर्वाद मांग सकें ताकि वे अच्छे भाग्य, समृद्धि, सफलता के अपने सभी प्रयासों में सफलता प्राप्त कर सकें और अपने ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ा सकें।
हिंदू धर्म में, यह शायद एकमात्र त्यौहार है जो भक्तों को भौतिक और साथ ही सर्वशक्तिमान के आध्यात्मिक रूप की पूजा करने की अनुमति देता है। गणपति अच्छी शुरुआत के भगवान हैं । ऐसा माना जाता है कि वह विसर्जन के समय परिवार की सभी कठिनाइयों और बाधाओं को दूर कर देता है ।