चार दशकों तक सिने प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले भारतीय सिनेमा के युग पुरूष पृथ्वीराज कपूर का जन्म पाकिस्तान के लायलपुर की तहसील समुंद्री में 3 नवंबर, 1906 को हुआ था। इन्हे बॉलीवुड का मुगल-ए-आजम कहा जाता है।
पृथ्वीराज कपूर 1929 में काम की तलाश में मुंबई आए थे तब उन्हे इस बात का जरा भी इल्म न था की वे इस कदर लोगों के दिलों पर राज करने लगेंगे की दशकों तक याद किया जाने लगेगा एवं वे लोगों के लिए एक मिशाल बन जाएंगे। पृथ्वीराज कपूर शुरुआत में इंपीरियल फ़िल्म कंपनी में बिना वेतन के एक्स्ट्रा कलाकार के रूप में काम किया। सन 1931 में बारत की पहली बोलने वाली फिल्म आलमआरा में सिर्फ 24 साल की उम्र में अलग-अलग आठ दाढ़ियां लगाकर जवानी से बुढ़ापे तक की भूमिका निभाई।
पृथ्वीराज कपूर को नाटकों, रंगमंच से काफी प्यार था। इसी कारण उन्होंने 15 जनवरी 1944 को पृथ्वी थिएटर बनाया और अपने अनेक कलाकारों को रंगमंच से जोड़ा। उन्होंने दीवार, पठान, गद्दार, आहुति, शकुन्तला, पैसा, कलाकार और किसान शीर्षक नाटको को रंगमंच पर उतारा।
1960 में मुगल-ए-आजम में अकबर का किरदार निभाया था जो आज भी लोगों को दिवाना बना देता है। पृथ्वीराज कपूर को पद्मभूषण पुरस्कार दिया गया। भारतीय सिनेमा में अपने अदभूत योगदान के लिए उन्हें 1971 में मरणोपरांत दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पृथ्वीराज कपूर का निधन 29 मई यानी की आज ही के दिन सन 1972 को हुआ था।