कादर खान आज भले ही हम लोगों के बीच ना हो लेकिन उनकी दमदार अदाकारी और डायलॉग डिलीवरी हमेशा उनकी याद दिलाती रहेगी। कादारखान एक अभिनेता ही नहीं बल्कि एक बेहतरीन डायलॉग डिलीवरी राइटर भी रहे। उनके द्वारा लिखे गए कई ऐसे डायलॉग है जो आज भी लोगों की जुबा पर है?
हम जहा खड़े हो जाते है लाईन वहीं से शुरु हो जाती है?.
मै वो पुलिस ऑफिसर हूं जो 1500 रुपए कमा कर भी बिकाऊ नहीं?.
बचपन से सर पर अल्लाह का हाथ और अल्लाहरख्खा है अपने साथ, बाजू पर 786 का है बिल्ला?..
दुनिया की कोई जगह इतनी दूर नहीं है, जहां जुर्म के पांव में कानून अपनी फौलादी जंजीरें पहना ना सके?
'किसी आदमी की सीरत अगर जाननी हो तो उसकी सूरत नहीं उसके पैरों की तरफ़ देखना चाहिए, उसके कपड़ों को नहीं उसके जूतों की तरफ देख लेना चाहिए?.
"विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा,?..
जिंदगी तो बेवफा है, एक दिन ठुकराएगी, मौत महबूबा है साथ लेकर जायेगी?..
कादर खान का जन्म 1937 में अफगानिस्तान के काबुल में हुआ। कादर खान ने इस्माइल यूसुफ कॉलेज से इंजीनियरिंग की और एमएच सैबू सिद्दिक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर रहें। उन्होंने फिल्म दाग से बॉलीवुड में डेब्यू किया, जो कि 1973 में रिलीज हुई थी। मूवी में कादर खान के अपोजिट राजेश खन्ना थे। कादर खान बॉलीवुड के कॉमेडी किंग कहे जाते थे। गोविंदा, शक्ति कपूर और असरानी के साथ तो इनकी जोड़ी कॉमेडी में बहुत ही लोकप्रिय हुई।
कादर खान ने करीब 250 फिल्मों के डायलॉग लिखे। कादर खान ने बतौर अभिनेता लगभग 300 फिल्मों में काम किया। कादर खान ने खलनायक की भूमिका भी बखूबी निभाई। साथ ही एक चरित्र अभिनेता के रूप में भी उन्होंने बेमिसाल अभिनय किया। आखिरी बार कादर खान को 2015 में अपनी फिल्म 'हो गया दिमाग का दही' के ट्रेलर लॉन्च में देखा गया था।