बॉलीवुड के बहतरीन अभीनेताओं में से एक प्राण ऐसे खलनायक थे जिन्होंने पचास और सत्तर के दशक के बीच फिल्म इंडस्ट्री पर खलनायकी के जरीए हजारों दिलों पर राज किया।
प्रण का जन्म एक पंजाबी परिवार में 12 फरवरी 1920 को हुआ था. उन्होंने अपने फिल्मी करियर में 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है और वह 6 दशक तक फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव रहे।
पंजाबी फिल्म ' यमला जट? से शुरुआत की जो 1940 की हीट फिल्मो में से एक थी। प्राण की तीसरी फिल्म 'खानदान' 1942 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म की खास बात ये है की इस फिल्म से प्राण और नूरजहां दोनों ने ही बॉलीवुड में कदम रखा था। इससे पहले प्राण दो फिल्में दूसरी भाषाओं में कर चुके हैं। अभिनेत्री की हाईट प्राण से इतनी कम थी की फिल्म में क्लोजअप शॉट लेने के लिए नूरजहां को ईंटों पर खडे़ होकर सीन शूट कराने पड़े।
फिल्मों में काम करने से पहले प्राण एक फोटोग्राफर बनना चाहते थे और इसलिए उन्होंने दिल्ली की एक फोटोग्राफी कंपनी के साथ भी काम किया था. हालांकि, शायद उस वक्त प्राण ने भी यह नहीं सोचा था कि वह बॉलीवुड के खलनायक बन जाएंगे. भारत और पाकिस्तान के बटवारे से पहले प्राण ने 1941 से 1947 के बीच कई फिल्मों में काम किया लेकिन बटवारे के बाद उनका काम भी प्रभावित हुआ और उन्हें इंडस्ट्री से कुछ वक्त के लिए ब्रेक लेना पड़ा।
प्राण के मिले सम्मान पर यदि नजर डालें तो अपने दमदार अभिनय के लिये वह तीन बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।वर्ष 2013 में प्राण को फिल्म जगत के सर्वश्रेष्ठ सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया गया था।
प्राण 12 जुलाई 2013 को इस दुनिया को अलविदा कह गये।