एक अयोध्या थाईलैंड मे भी, यहाँ के राजा राम कहलाते है :-एक अयोध्या थाईलैंड मे भी, यहाँ के राजा राम कहलाते है :-एक अयोध्या थाईलैंड मे भी, यहाँ के राजा राम कहलाते है :-आक्रमणकारियोएक अयोध्या थाईलैंड मे भी, यहाँ के राजा राम कहलाते है :-आक्रमणकारियोस्तिथ स्तिथ स्तिथ स्तिथ स्तिथ स्तिथ स्तिथ स्तिथ स्तिथ स्तिथ स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही स्तिथ कोई प्रतिमा नही बुद्ध मंदिर का निर्माणस्तिथ कोई प्रतिमा नही बुद्ध मंदिर का निर्माणस्तिथ कोई प्रतिमा नही बुद्ध मंदिर का निर्माणस्तिथ कोई प्रतिमा नही बुद्ध मंदिर का निर्माणस्तिथ कोई प्रतिमा नही बुद्ध मंदिर का निर्माणस्तिथ कोई प्रतिमा नही बुद्ध मंदिर का निर्माण
एक अयोध्या थाईलैंड मे भी, यहाँ के राजा राम कहलाते है :- भारतीय संस्कृति और दर्शन से प्रभावित थाईलैंड अनेक दृष्टियों से अदभुत देश है | इस देश की वर्तमान राजधानी बैंकाक के निर्माण की भी एक रोचक कहानी है | थाईलैंड के इतिहास मे प्राप्त विवरण के अनुसार सन १९६७ तक उस देश की राजधानी अयुध्य (अयोध्या का अपभ्रंश) थी | उसी वर्ष वर्मी आक्रमणकारियो ने अयुधया पर अधिकार कर लिया और वहा लूटपाट की जिससे वह नगर उजड़ गया | तत्कालीन थाई राजा तक्सिन ने अयोदया से इस प्रतिज्ञा के साथ पलायन किया की जिस स्थान पर उनकी नौका किनारे पर लग जायेगी वही नई राजधानी का निर्माण किया जायेगा |
वह चाओफ्रया नदी मे खडी नौका मे सवार हुए जो नदी की धारा मे तैरती हुई अन्तत वर्तमान बैंकाक के सामने उन दिनों स्तिथ वनखंड मे एक किनारे पर जा लगी | वही ताक्सिन ने अपनी प्रतिज्ञा को मूर्त रूप दिया और इस तरह थाईलैंड की नई राजधानी हुई | राजा ताक्सिन ने अपनी पुराणी राजधानी अयुध्या से विदा लेते हुए यह संकल्प भी किया था की नई राजधानी मे वह एक मंदिर का भी निर्माण करायेगे | अपने संकल्प के अनुसार उन्होने वहा अरुनदोदय मंदिर का भी निर्माण करया | यह बैंकाक के सामने चायाफ्राया नदी के दूसरे किनारे पर स्तिथ है |
कोई प्रतिमा नही
अरुणोदय मंदिर को अयुधया युग के अंत और बैंकाक युग के श्री गणेश का सूचक भी माना जाता है, अपनी नकाशी ऊचाई और ऐतहासिक महत्व के कारण यह सुप्रसिद्ध है ,इसकी ऊचाई ७० मीटर है | इसके आस -पास अन्य छोटे शिखर सिथत है | इस मंदिर का अनूठापन यह है की यह ठोस है, और इसमे कोई गर्भ-गृह नही है और न ही इसमे कोई प्रतिमा ही प्रतिष्टित की गई है | यह मंदिर एक प्रकार से स्तूप और मंदिर के बीच जैसा एक पहुचने के लिये सीडियो का सहारा लेना पड़ता है | इसके उपरी भाग पर पहुचने के बाद वहा से सारी राजधानी महानगरी बैंकाक का द्रिश्यलोकन किया जा सकता है | वहा नदी पर सिथत बन्क्कोक का मुह बोलता से वैभव दर्शक के लिये एक अदभुत दृश्य प्रस्तुत करता है तो अनेक मंदिरों के शिखर और कंगूरे भी दर्शको का मन मोह लेते है |
राजा ताक्सिन के निधन के बाद सन १७८२ मे चाओफ्रया चकरी ने राम (प्रथम ) के नाम से शासन की बागडोर संभाली थी | चक्रवंशी ही वहा के शासन की बागडोर संभाल रहे है | वहा के वर्तमान नरेश रामनावं भी कही जाते है | नरेश के राज्याभिषेक मे मंत्रोचार अन्य ऐसी विधिया संपन की जाती है | जो भारतीय संस्कृति के प्रभाव को उजागर करती हुई नजर आती है |
बुद्ध मंदिर का निर्माण
नरेश चओफ्रायाचकरी ने अपनी राजधानी बनया तो उन्होने भी वहा वात फ्रा के ओ के नाम से जाने वाले एक बुद्ध मंदिर का निर्माण कराया था इस मंदिर की विशेषताए यह है की इसमे भगवान बुद्ध की पन्ने से बनी जो प्रतिमा है, उसे पन्ने की एक विशाल शिला से तराश कर बनया गया था |
यह उस देश का सर्वाधिक वैभवशाली मंदिर है यह भी कहा जाता है की देश भर मे सबसे अधिक सोना उसी मंदिर मे चडाया जाता है | इस मंदिर मे स्तिथ पन्ने की प्रतिमा के लिये कई युद्ध भी हो चुके है | अब यह प्रतिमा चकरी राजवंश और थाईलैंड के इस्टदेव की मूर्ति भी मानी जाती है | जिसके दर्शन करने और श्रद्धा सहित नमन करने मे थाईलैंड वासी स्वयं को धन्य मानते है |