अक्षय तृतीया भारतवर्ष के ख़ास त्योहारों में जाना जाता हैं, पर्व को कई नामों से जाना जाता है ।इस पर्व को भारतवर्ष के खास त्यौहारों की श्रेणी में रखा जाता है |अक्षय तृतीया पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाई जाती है |इस दिन स्नान, दान, जप, होम आदि अपने सामर्थ्य के अनुसार जितना भी किया जाएं, अक्षय रुप में प्राप्त होता है |
अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान इत्यादि नित्य कर्मों से निवृत होकर व्रत या उपवास का संकल्प करें, पूजा स्थान पर विष्णु भगवान की मूर्ति या चित्र स्थापित कर पूजन आरंभ करें भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं, तत्पश्चात उन्हें चंदन, पुष्पमाला अर्पित करें ।
ऐसा भी कहा जाता हैं कि एक कथा यह भी हैं महाभारत के दौरान पांडवों के भगवान श्रीकृष्ण से अक्षय पात्र लेने का उल्लेख आता है |इस दिन सुदामा और कुलेचा भगवान श्री कृष्ण के पास मुट्ठी - भर भुने चावल प्राप्त करते हैं |इस तिथि में भगवान के नर-नारायण, परशुराम, हयग्रीव रुप में अवतरित हुए थे इसलिये इस दिन इन अवतारों की जयन्तियां मानकर इस दिन को उत्सव रुप में मनाया जाता है।अक्षय तृतीया तिथि के दिन अगर दोपहर तक दूज रहे, तब भी अक्षय तृतीया इसी दिन मनाई जाती है |इस दिन सोमवार व रोहिणी नक्षत्र हो तो बहुत उत्तम है यह भी कहा जाता हैं प्रसिद्ध तीर्थस्थल बद्रीनारायण के कपाट भी खुलते हैं |वृन्दावन स्थित श्री बांके बिहारी जी के मन्दिर में केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं ।
अक्षय तृतीया में खेतो का फसल का पकना और ख़ुशी को मानते हुए इस तिथि का पदार्पण होता है धर्म की रक्षा हेतु भगवान श्री विष्णु के तीन शुभ रुपों का वतरण भी अक्षय तृतीया के दिन ही हुए माने जाते हैं । ऐसा माना जाता है कि जिनके अटके हुए काम नहीं बन पाते हैं, या व्यापार में लगातार घाटा हो रहा है अथवा किसी कार्य के लिए कोई शुभ मुहुर्त नहीं मिल पा रह होतो उनके लिए कोई भी नई शुरुआत करने के लिए अक्षय तृतीया का दिन बेहद शुभ माना जाता है,अक्षय तृतीया में सोना खरीदना भी बहुत शुभ माना गया है ।अक्षय तृतीया के दिन स्वर्णादि आभूषणों की ख़रीद को भाग्य की शुभता से जोडा़ जाता है ।
अक्षय तृतीया में दान पुण्य करने का भी महत्व हैं |अक्षय तृतीया में पूजा, जप-तप, दान स्नानादि शुभ कार्यों का विशेष महत्व तथा फल रहता है, इस दिन गंगा इत्यादि पवित्र नदियों और तीर्थों में स्नान करने का विशेष फल प्राप्त होता है । यज्ञ, होम, देव-पितृ तर्पण, जप, दान आदि कर्म करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है ।अक्षय तृ्तिया के दिन गर्मी की ऋतु में खाने-पीने, पहनने आदि के काम आने वाली और गर्मी को शान्त करने वाली सभी वस्तुओं का दान करना शुभ होता है। अक्षय तृतीया के दिन जौ, गेहूं, चने, दही, चावल, खिचडी, ईश (गन्ना) का रस, ठण्डाई व दूध से बने हुए पदार्थ, सोना, कपडे, जल का घडा आदि दें |इस दिन पार्वती जी का पूजन भी करना शुभ माना जाता हैं ।
अक्षय तृ्तीया का यह उतम दिन उपवास के लिए भी उतम माना गया है, इस दिन को व्रत-उत्सव और त्यौहार तीनों ही श्रेणी में शामिल किया जाता है । इसलिए इस दिन जो भी धर्म कार्य किए वे उतने ही उतम रहते है। पूजा में में जौ या जौ का सत्तू, चावल, ककडी और चने की दाल अर्पित करें तथा इनसे भगवान विष्णु की पूजा करें पूजा समाप्त होने के पश्चात भगवान को भोग लाएं ओर प्रसाद को सभी भक्त जनों में बांटे और स्वयं भी ग्रहण करें, सुख शांति तथा सौभाग्य समृद्धि हेतु इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती जी का पूजन भी किया जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन नए कार्य की शुरुआत से लेकर महत्वपूर्ण चीजों की खरीदारी व विवाह जैसे कार्य भी इस दिन बेहिचक किए जाते हैं। नया वाहन लेना या गृह प्रेवेश करना, आभूषण खरीदना इत्यादि जैसे कार्यों के लिए तो लोग इस तिथि का विशेष उपयोग करते हैं।